सर गुज़िश्त आज़ाद बख्त बादशाह की

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         एक बद्र रु नज़र पड़ी की मुआफ़िक आदमी की आने की है मगर जाली आहनी उसके दाहने पर जड़ी है। यह इरादा किया की उस बद्र रो ...

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