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बे-वजह न रोकिए वक़्त की रफ़्तार को, भुखमरी की सेज़ पर होते व्याभिचार को! क्या ग़लत है कल किसी की चेतना बाग़ी बने; कह दो दायरे में रहे केन्द्र की सरकार ...