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🌹🌹🌹🌹* ग़ज़ल * 🌹🌹🌹🌹 ह़सीन रुख़ पे ये ज़ुल्फ़ें जो तुम ने डाली हैं। हमारी क़ैदे-क़फ़स की यही तो जाली हैं। हमारे ह़ाल पे हंसते हैं ख़ार गुलशन के। तुम्हारे ह़ुस्न ...