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1. ग़ज़ल के इस बुतख़ाने में कुछ क़लम भी हैं शमशीरें भी ख़ुद आंख से हमने देखी है लिख देतीं जो तक़दीरें भी! 2. इस ग़ज़ल के पीछे तेग़ ...