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कविता ः घूंघट में मुस्कान ★★★★★★★★★★★ लबरेज पड़ती सुनहली किरणों पर धरती रानी मुस्काई है खेतों में पसरे धानों में फिर से बालियां आईं हैं आँगन में फिर से धूप खिली ...