ख़लदान की सरज़मीन से कई फ़र्लांग दूर, जंगल की उस पुर-असरार वादी में, जहां दरख़्तों की शाख़ें आसमान से सरगोशियाँ करती थीं और ज़मीन पर पसरा साया अंधेरे की चादर सा ...

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