3 Part
35 times read
0 Liked
सुबह जब मैंने अपनी आँखें खोलीं, तो कुछ अलग था। रौशनी। वो अब भी जंगल के बादलों भरे दिन की सी हरी,स्लेटी रौशनी थी, लेकिन किसी तरह से ज़्यादा ...