लेखनी कविता -अनगिनत ख्वाब

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अनगिनत ख्वाब, मेरी पलकों पर उतर आए हैं, जिनमें मैंने, जीवन के, सुनहरे पल सजाए हैं, सपनों को मालूम होगा, कि पूरा उन्हें, मैं कर पाऊंगी, देर ही सही, धीरे धीरे, ...

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