शब्द - आत्मा करे हैं जो घृणा तुमसे ,  उनसे भी तुम प्यार करो ।  अचिर तन को क्या सजाना आत्मा का शृंगार करो ।।  - - - - ऋषभ दिव्येन्द्र ...

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