एक बार देख लो मुड़कर

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एक बार देख लो मुड़कर  मैं आज भी खडी हूँ वही पर  जिस राह पर दामन छुड़ाया तुमने  देखती रही बेबस सी जाते हुए  तुझ को रोकना तो बहुत चाहा जुबा ...

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