कैसी दुनिया

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कितने मासूमियत से भरे थे, जब आए इस दुनिया में हम भी नादान परिंदे थे। न कोई भेदभाव था ,न कोई अलगाव था, सब हमारे अपने थे। न कोई इच्छा थी ...

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