लेखनी कहानी -02-Nov-2021

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" पंछी वो नील गगन का " बनकर आवारा पंछी मैं,  अम्बर में, उड़ चला,  उस नील गगन  में,  तारों संग बतियाऊँ मैं, बागों -बागों, घूम कर में,  नीर नदी का, ...

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