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कविता ःआसमान छू लेंगे हम ★★★★★★★★★★★★★ है बुलंदियों से भर ये मन और उर्जा से संचित ये तन न डर अंधेरों से न दुर्गम रास्तों का चले हम चलें फिर क्यों ...