जमी पर गिरा पड़ा था

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जमी पर गिरा पड़ा है, आसमाँ का चमकता तारा  तड़प ना-समझे दिल की, ये दिल तुम्हे ही पुकारा उम्मीद थी कुछ सुलह हो, पर मिला सिर्फ धोखा ढ़लती हुई हर शाम ...

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