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अब कहां पहले से त्योंहार कहां अब पहले से त्यौहार रहा ना अपनापन प्यार बड़ों का होता सम्मान लुप्त हो रहे सभी संस्कार सद्भावों की बहती गंगा घट घट उमड़ता प्यार ...