तू अमानत मेरी!

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तू है जैसे खाब कोई, नींद हूँ मैं तू रात कोई हूँ मैं तू  मैं मुसाफिर तू है रास्ता धूप-छाँव सा अपना वास्ता हर दुआ में मैं मांगू इनायत तेरी, हर ...

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