यादे कुछ पल की भाग ---- 4

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चाह था जिसे इबादत की तरह मांग था जिसे दुआओ की तरह पर वो आज हम से मिलते है अजनबियों की तरह  आँखों मे बसाया जिसे काजल की तरह जिस्म में ...

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