उलझने

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 खामोशी की गिरह में उलझनें छुपा लेती हूं...  देखा है अक्सर शोर करने वालों की उलझनें बढ़ते हुए....   सामने हो तो अपनेपन का स्वांग करते हैं..... पर कड़वाहट की जुबां ...

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