अगर इश्क़ का यही दस्तूर है जी

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अगर इश्क़ का यही दस्तूर है जी  मुझे क़त्ल होना भी मन्ज़ूर है जी  अजन्ता की मूरत लगे यार मुझको बचाये खुदा चश्मे-बददूर है जी  तसव्वुर में बांधे उसे यार कैसे पहुँच से ...

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