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शीर्षक - लक्ष्य इस दिशाहीन, ऊर्जाहीन जीवन का क्या करूँ न राह,न मंजिल सूझती है, कैसे जिऊँ असंगतियो, विसंगतियों से भरा है जीवन भावनाओं की नोक पर खड़ा है जीवन असफलता ...