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अपूर्णता का पूर्ण अंधकार समक्ष है इस घूमती धुरी का कौन सा अक्ष है क्यों डूब गया हृदय गहन चिंतन में सिर्फ वही देखो जो तुम्हारा लक्ष्य है। अर्जुन के भांति ...