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विधा कविता सूर्य उपासना हे सूर्यदेव दिनकर देव रवि रथ पर होकर सवार ओज कांति प्रदाता तुम्ही आदित्य हरते अंधकार सारी दिशाएं आलोकित किरणें प्रकाशित करती नव भोर उमंगे सृष्टि में ...