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दोहा छंद सादर समीक्षार्थ 🙏 शिकायतें शिकायतें मैं क्या करूँ, सब जन बेईमान। छल कपट है आज भरा,लोग करते न मान।। लाज शर्म सब खो गया, ऐसा अब इंसान। रिश्तों की ...