किनारा दैनिक प्रतियोगिता कविता-16-Nov-2021

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गई जवानी  बुढापा आया बाल पक गए तन जर्जर हो गया हे प्रभु इस जीवन रूपी नैया को अब दे दो किनारा जितना खींच सका खींचा अपनी जीवन की गाड़ी को ...

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