कविता - किनारे

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कविता प्रतियोगिता कविता ःकिनारा ************* १. ख्वाहिशें थीं समंदर कीं लहरों ने हमें धकेला हम डूबते रहे.. परवाह न थी किनारे की।। २. किसने देखा मोतियों को किनारे पर गहराइयों में ...

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