इंसा होकर भी तू

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नाली के कीडे को भी अपना जीवन प्यारा  इंसा होकर भी तू इस जीवन से हारा प्राण पड़े जिस तन में उसमे मोह है जागा दुखों से डकर क्यों इंसा रणभूमि ...

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