किनारे की उमीद

1 Part

192 times read

16 Liked

किनारे की उमीद जाने क्या मैं कर रही हूं, न ओर है न कोई छोर है। बस चलते ही चल रही हूं, किनारे का न कोई भोर है। जाने क्या मैं ...

×