241 Part
120 times read
1 Liked
लोककथ़ाएँ कबूतर : कश्मीरी लोक-कथा संध्या का समय हो चला था। महल के दीपक पंक्ति में रखे हुए टिमटिमा रहे थे। आती – जाती हवा में उनकी लौ लहरा रही थी। ...