दोस्त

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चाहा था इक दोस्त ऐसा खट्टी मीठी बातें करके मन खाली कर ले हर दिन न ऐब निकाले हर बात में न पाबंदियों का अंकुश डालें हर दिन मिलने की प्रतीक्षा ...

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