मुक्त कवीता -23-Nov-2021

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राह भटकते नहीं पथिक है इक दिन लाते हैं उजियारा। नया सवेरा कहता उनसे उठ चल कहां भटकता है,,या जग बैरी या है सांगी चंचल मनवा कहता है,,सुख दुःख है आनी ...

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