कविता ःधूप और छाया

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कविता ः कविता ःकहीं धूप कहीं छाया जिंदगी है एक पाठशाला कभी धूप होता कभी छाया सुख की बंशी जैसे नंदशाला गैयन टपकावैं अमृत सारा दुख की नगरी होतीहै बड़ी रीत ...

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