बिन बुलाए मेहमान की तरह है आँसुलेखनी कविता -25-Nov-2021

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बिन बुलाए मेहमान की तरह आँसू बिन बुलाए मेहमान की तरह चले आते है एकाकीपन मे सहारा बन जाते है भावनाओं का दरिया बन चक्षु से बह जाते है अशांत मन ...

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