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लोककथ़ाएँ खंजड़ी की खनक: बिहार की लोक-कथा (मगध की लोककथा) हिरनी चुप रही। कुछ नहीं बाली। उसकी सागर-सी गहरी आंखों में आज सूनापन था। हिरन की बात सुनते ही उस सूनेपन ...