कविता ःउम्मीदों की आशाएँ

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उम्मीदों की आशाएँ उम्मीदों की लौ जलाए रखें हौसलों को करें बुलंद चलना ही है हमें चाहे राह में हो कोई प्रतिबंध न झुके कभी न डिगें हम बस चलते रहे ...

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