लेखनी प्रतियोगिता -27-Nov-2021 - आवरण

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आवरण तुम प्रकृति का बना रहने दो,  आचरण अपने व्यवहार में सदा रहने दो , चिंता की लकीरों को हमारी चेहरे की , हंसी के परदे से तुम ढका रहने दो ...

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