1 Part
215 times read
7 Liked
आवरण तुम प्रकृति का बना रहने दो, आचरण अपने व्यवहार में सदा रहने दो , चिंता की लकीरों को हमारी चेहरे की , हंसी के परदे से तुम ढका रहने दो ...