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दूसरो से ज्यादा ख़ुद पर ऱख भरोसा, भलाई है उसी में वो मुहब्बत अब मुहब्बत नही वैसा, रुसवाई है उसी में दिल मे दबाकर न कोई बात रखा राज सब खोल ...