देश बदल रहा है! कुछ बातें, जिनपे बहस छिड़ी,  फिर मुद्दा, मुद्दा न रहा। जिद थी, सबको अपनी मनाने की किसी और का कैसे सुने! हरगिज़ नही ये मुमकिन नही मैं ...

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