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फ़लक फ़लक भटक लिए तो आइए ज़मीन पर। उजड़ रहे घरों को फिर बसाइए ज़मीन पर। ख़ुदा बनें यूं चाहतों में दफ्न आदमी न हो। सो आदमी को आदमी बनाइए ज़मीन ...