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सुबह की ओस की बुंद जैसे गुलाब की पंखडियो पर दिखाई देती है मोती सी चमक लिए वैसे ही नूर चित्तौड़ की रानी पद्मावती के रूप मे झलकती थी। गुलाब सी ...