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चाहे आये दोस्त या हो दुश्मन, दुकान मेरी चलनी चाहिए। चाहे हो दंगा, या हो अमन, रोटी मेरी सिकनी चाहिए। खून बहे, या धारा नदियों की, पतवार मेरी चलनी चाहिए। बताऊंगा ...