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दोहे मन के भाव समेट कर, दिया अनोखा रूप। धीरे-धीरे हो गया, वह तेरे अनुरूप।। पुष्पों के मानिंद हैं , अधर तुम्हारे लाल। कानों में करते लगे , कुंडल मुझे कमाल।। ...