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जंगल में मंगल काॅलेज का अंतिम दिन था, हाँ शायद कल से ये यार दोस्त। मिलेंगे भी कभी हमें कि नहीं यही सोचती हुई अनिशा खिड़की से बाहर बस में बैठी ...