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आधा इश्क़ तेरे मेरे रिश्ते की डोर को जब सबने मिलकर बाँधा था... तेरे मेरे दर्मयाँ तभी इश्क़ आधा था l वो अनकही बातें , हमारी नहीं , नज़रों की मुलाकातें ...