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लोककथ़ाएँ चरवाहे को कैसे दुल्हन मिली संताड़ी/संताली लोक-कथा एक बार एक ग्वाला जो की एक रेवड़ का चरवाहा था और नित्य मध्याह्न में अपने रेवड़ को पीपल के पेड़ के नीचे ...