कविता ः इंद्रधनुष

1 Part

263 times read

5 Liked

कविताःइंद्रधनुष ~~~~~~~~~ काले गरजते मेघों की शंखनाद पर चमकती इठलाती मंजूषा चंचल घनन चितेरे बर्षा बूंदें गिरतीं धरापर झमाझम बारिश बनकर छाया था अंधेरा घना .. पर थक गई जब बरखा ...

×