अत्याचारी

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द्यूत सजाये बैठे हैं अब इस जग में बहु शकुनी  शस्त्र उठा ले लाज बचा ले हे प्रिय पुत्री तू अपनी  छोडो कंगन छोडो मेहंदी अब तो खडग उठा लो  घूंघट ...

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