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सूनी हथेलियाँ जब छूटने लगा था कुछ कुछ तभी टूटने लगा था बहुत कुछ अंतराल पसरने लगा था धीरे धीरे कदम दर कदम …... बढ़ते जा रहे थे फासले शुरू में ...