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कहते हो, बहुत शिकायतें करती हूं। काश दिल खोल कर, दिल की जुबां सुनी होती। एक बार तो ,मन की किताब खोल लेते मेरी। फिर शिकायतों की ,कोई गुंजाइश ही नहीं ...