धरती पुत्र

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हर रोज एक रक्षक शहीद होता है ऐसे.... धरती मां का कोई तारा उससे छूट कर,, आसमां के आंगन में बिछ जाता है जैसे...!! हे !! धरती पुत्र तुम जाओ ना ...

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