लेखनी प्रतियोगिता -13-Dec-2021

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बहता आखोँ से पानी फिर भी कोरे ना भीगा करती ,रोज ही दिन ढल जाता लेकिन रात ना आया करती ,छुकर जाती जब पवन हमें यादों के साज महकते ,तेरे कदमों ...

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